दीपदान के लिए उपयोग होंगे आटे से बने दीये, बैठक में कई निर्णय
जबलपुर। संस्कारधानी के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र और जीवन दायिनी नर्मदा नदी के प्रतिष्ठित ग्वारीघाट का नाम बदलकर गौरी घाट करने की रूपरेखा करीब-करीब तैयार हो गई। जल्द ही ग्वारीघाट का नाम बदलकर जिला प्रशासन व जेएमसी के रिकार्ड में गौरी घाट कर दिया जाएगा। अमरकंटक से लेकर भडूच तक नर्मदा नदी में बने सैकड़ों घाट में ग्वारीघाट में सबसे अधिक भक्तों की प्रतिदिन आवक होती है। जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ जितेंद्र जामदार, साकेत धाम के अधिष्ठाता स्वामी गिरीशानंद महाराज व कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी. सहित अन्य पदाधिकारियों की बैठक में गौरी घाट नामकरण करने के साथ ही नर्मदा तटों को सुंदर व स्वच्छ बनाने के संबंध में कई निर्णय लिए गए हैं। बताया जाता है कि बैठक में तय किया गया है कि नर्मदा नदी में पॉलिथिन, कागज एवं प्लास्टिक डिस्पोजेबल पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के साथ ही इस पर में पूर्ण रुप से सतत निगरानी की जाएगी। मां नर्मदा में दीपदान करने वाले भक्त-श्रद्धालु अब आटे से निर्मित दीपक से ही दीपदान कर सकेंगे। दो-पहिया एवं चार पहिया वाहन घाट तक नहीं जा सकेंगे। बुजुर्ग, दिव्यांग और असहाय व्यक्तियों के घाट तक जाने के लिए सिर्फ ई-रिक्शा का उपयोग किया जाएगा। नर्मदा नदी किनारे फसल लगाने वाले किसानों से गठित विशेष टीम के सदस्य संपर्क कर उन्हें समझाइश देंगे कि नदी किनारे किसी भी प्रकार के कीटनाशक का उपयोग न करें। बैठक में विधायक अशोक रोहाणी, उद्योगपति कैलाश गुप्ता, जेएमसी कमिश्नर आशीष वशिष्ठ, स्मार्ट सिटी सीईओ निधि सिंह राजपूत, भाजपा नेता मनीष दुबे, संजय सिंह यादव भी उपस्थित थे।